लम्हें जिंदगी में कुछ ऐसे मेरे आये,
जिसने बदल दी जीवन की दिशाएँ,
आत्मविश्वास मेरा जिसने सदा बढ़ाया,
आँसू पोंछ होंठ मेरे थे मुस्कुराये।
दुनिया की नजर में बेबस लाचार थी,
रोज होती मैं मुश्किलों से दो चार थी,
सहानुभूति के बोल गर्म लावे की तरह
कानों में घुलकर करती बीमार थी।
अँधेरे का चौतरफा घना लगता वार था,
मुश्किलें हर समय मारने को तैयार था,
बचपन के यार दोस्त स्कूल थे छूटे,
बंद कमरे में सिमटा जीवन, चारों ओर दीवार था।
फिर अचानक मन में कुछ विचार आये,
लगने लगा क़ब तलक जिंदगी को यूँ बिताये,
धूल झाड़ी जिंदगी की और खड़े हुए,
लड़खड़ाते कदमों को थे जमीन पर टिकाए।
दी परीक्षा जिंदगी में मैंने अनेकों फिर से,
स्वावलंबी बनकर फिर हम खड़े हो पाये,
इस तरह से खोया हुआ आत्मविश्वास लौटा,
लम्हें जिंदगी के उस कीमती को हम भूल न पाये।
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