अगर जब कोई पूछे कभी
क्या रिश्ता है हमारा तुम्हारा।
बस बता देना इतना ही
दर्द में एक दूजे का है सहारा।
जब हर तरफ अंधकार दिखे,
प्रकाश की न कोई आस दिखे।
बन के जुगनू हम टिमटिमायें,
एक दूजे के मन में विश्वास जगायें।
जब उलझनें मन पर हों हावी,
कोई भी उपाय न लगे प्रभावी
तब उलझी गाँठें सुलझाने को,
जज्बात समझने सदा आती है।
अगर जब कोई पूछे कभी,
क्यों लगती है तुमको वो खास
बस तुम इतना ही कह देना,
उसकी पागल बातें लाती हैं मुस्कान साथ।
दूर होकर भी दर्द में सदा
वो मरहम बनकर आती है।
खुशियों में जब मन तरंगित हो,
संगीत बनकर होठों पर थिरक जाती है।
रिश्ता वही जिसका कोई नाम न हो,
बेनाम तो हो पर अनजान न हो।
बिल्कुल अपनों सी लगती है,
वो,परायी होकर भी
अपनेपन की कहानी कहती है।
😍😍
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