बच्चा

चाहती हूँ बच्चा बन जाना

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Ruchika Rai
Ruchika Rai 13 Nov, 2022 | 0 mins read

चाहती हूँ एक बार फिर से बच्चा बन जाना,

बिना झिझक हँसना रोना और गुनगुनाना,

वो बेफिक्री की धुन खेलों में सदा ही गुम,

अल्हड़पन मस्ती जोश खरोश नाचना गाना।


वो नही थी कोई भी जीवन में जिम्मेदारी,

खूब रंग जमाती थी अपनी मिलकर यारी,

वो बागों में जाकर खूब केरियाँ तोड़ना खाना,

मस्ती की धुन और उसके लिए होती तैयारी।


मिल बाँट कर खाते थे हम पूड़ी और मिठाई,

छोटी छोटी बातों पर होती थी अपनी लड़ाई,

पल में रूठ जाते और पल में मान जाते थे,

बातों में नही रहती थी थोड़ी भी यारों से रूखाई।


वह अपनी अलग दुनिया अपनी ही धुन थी,

दिल में चैन और सबके प्रगति से सुकून थी,

नही होड़ थी आगे निकलने की नही थी ईर्ष्या,

बस प्रेम के रंग में रंगी जीवन लगे रंगीन थी।


चलो यारों फिर से हम सब बच्चा बन जाएं,

बेफिक्री में जीयें बातों को नही दिल पर लगाएं,

थोड़ी शरारतें ,थोड़ी मस्ती थोड़ी उधम करें,

जिंदगी को यूँही जीकर जीवन का लुफ़्त उठाएं।

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