मन के भाव

मनोभावों को

Originally published in hi
Reactions 0
242
Ruchika Rai
Ruchika Rai 29 Aug, 2021 | 0 mins read

मैं लिखती हूँ मन के भावों को,

अपनी कल्पनाओं को,

कुछ अनकहे शब्दों को,

अपने जज्बातों को,

कुछ अपनी कुछ बेगानी बातों को।

सिर्फ और सिर्फ अपने सुकून के लिए।

न ही किसी ज्ञान के प्रदर्शन के लिए,

न ही किसी विज्ञान और दर्शन के लिए,

नही चाहत कोई प्रसिद्धि मिले,

नही लिखती किसी के ध्यानाकर्षण के लिए।

जैसे आपका शौक है चाय की चुस्की,

या फिर बातों ही बातों में करने को मस्ती,

नही फर्क आपको कि आपकी चाय में चीनी कम है,

या फिर चायपत्ती की कड़वाहट...थोड़ी ज्यादा।

ठीक उसी तरह मेरे लिखे में हो सकती

थोड़ी अशुद्धि,पर ये खालिस है,

ये मेरे मनोभाव है,

बस इसमें मिलावट का अभाव है।

जो दिल से लिखा है ,दिल से पढ़िए

दिमाग का ज़रा कम इस्तेमाल करिए।

फिर समझ आएगी इन पंक्तियों की खूबसूरती।

या फिर नही समझना तो दूर ही रहिए,

क्योंकि कभी कभी न समझ आना भी श्रेयस्कर है।

क्योंकि ये कविता नही है,

ये है खालिस जज़्बातों की तुकबंदी।

0 likes

Published By

Ruchika Rai

ruchikarai

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

Please Login or Create a free account to comment.