उदासी

उदासी की परत

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Ruchika Rai
Ruchika Rai 17 Jul, 2021 | 1 min read



दासियों की गहरी परतें

जमी हैं मन के तल पर।

हटाना लगे नामुमकिन

पैठी हैं गहरी जड़ों तक।

अपेक्षाओं उम्मीदों का घरौंदा,

बनता टूटता,

आसान है कितना कहना

नही कोई अपेक्षा रखना।

उदासियों की गहरी परतें

जमी हैं काई की तरह।

फिसलन भरे मन से

फिसलन भरी जिंदगी तक।

क्षणिक हँसना जीवन जीना,

फिर पल में लगे जीवन बोझ 

सरीखा बन जाना।

टूटती हिम्मत,

पस्त होते हौसले,

खुशी और दर्द के बीच

एक पर्दा झीना।

उदासियों की गहरी परतें 

चोट करती हैं मन पर।

उम्मीदों के पट पर

अपेक्षाओं की कुंडी

सब संभाल लेने की जिम्मेदारी।

दर्द रिसता मन में भीना भीना।

फिर भी जिंदगी में जिंदगी ढूढना

वाकई उदासियों की गहरी परतों

के बीच

एक कठिन कार्य है ना।

फिर भी ये हमें है करना।

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Ruchika Rai

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Comments

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  • Kamlesh Vajpeyi · 4 years ago last edited 4 years ago

    भावपूर्ण और मर्मस्पर्शी..!

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