आज रीना के घर वाले बहुत ही खुश थे,और हो भी क्यों न ,रीना जो बचपन से ही असाध्य रोग के कारण अस्सी प्रतिशत विकलांग हो गयी थी,बीच में पढ़ाई छोड़ चुकी थी,और दसवीं के बाद कभी स्कूल और कॉलेज का जिसने मुँह नही देखा था, उसका चयन बीएड प्रतियोगी परीक्षाओं के माध्यम से हो चुका था और कॉलेज भी मिला तो न्यूनतम शुल्क के साथ सरकारी कॉलेज।
रीना की माँ के आँसू न थम रहे थे,जिस बेटी के लिए अस्पतालों के चक्कर लगाए थे आज वह कॉलेज में पढ़ने जा रही थी।उस समय बीएड में चयन बहुत बड़ी बात थी।
नाते रिश्तेदार जो आज तक हेय दृष्टि से देखते थे वह आश्चर्यचकित थे,ऐसा कैसे।
और रीना शांत गंभीर राहत की साँस ले रही थी,क्योकि उसे खुद को साबित करना था।
अपने रिश्तेदारों के बीच जो व्यंग्यबाण उसने सुने थे,उस वक्त उसे सुनकर वह घुट घुट कर रोई थी।
अपनी बेबसी पर उसे क्रोध आता था।
कई बार उसने खुद को खत्म तक करने के लिए सोच लिया था।
मगर फिर माँ पापा के परवाह ने उसे ऐसा करने से रोक लिया था।
उसने खुद से एक वादा किया था किसी भी परिस्थिति में टूटकर बिखरेगी नही।और समाज को यह साबित अवश्य करेगी कि वह कमजोर तो बिल्कुल नही।
और आज हाथ में चयन पत्र पाकर उसे यह महसूस हुआ कि उसने स्वयं से किया वादा पूर्ण कर लिया।
और फिर होठों पर मुस्कान के साथ मन ही मन एक और वादा किया ,अपने आँखों में आँसू नही लाएगी और किसी के आँसू की वजह नही बनेगी।
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