तुम और मैं

तुम और माँ

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Ruchika Rai
Ruchika Rai 09 May, 2022 | 0 mins read

तू सुर बन गीतों में सजना,

मैं साज बन बजा करूँगी।

हर ख़्वाब में आकर सदा,

मैं खूबसूरती से सजा करूँगी।


तुम धड़कन बन दिल में धड़कना,

मैं खुशबू बन महका करूँगी।

मैं पायल बन पैरों में बँधकर,

नृत्य करते हुए थिरका करूँगी।


तुम आवाज बन गले में रहना,

मैं रक्त बन धमनियों में बहा करूँगी।

मैं अस्थि पंजर बन काया को आकर दूँगी,

मैं हाथ थाम तेरे चला करूँगी।


तुम अगर रात का अंधकार बनोगे,

मैं जुगनू बन प्रकाश दिया करूँगी।

तू बन सवेरा रोशन करोगे,

मैं किरणें बन उजियारा करूँगी।


तू गर्मी की चिलचिलाती धूप बनोगे,

मैं पुरवा के झोंके बन राहत दिया करूँगी।

तू जाड़े की कड़कड़ाती धूप बनोगे,

मैं अलाव जलाकर ठंड दूर करूँगी।

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Ruchika Rai

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