इच्छाएं

खरपतवार सी होती हैं इच्छाएं

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Ruchika Rai
Ruchika Rai 24 Apr, 2021 | 1 min read

खरपतवार की तरह होती हैं कुछ इच्छाएं

जो जन्म लेती हैं 

पलती हैं बढ़ती हैं

बिना किसी जरूरत के।

कितना भी काटो,उखाड़ो ,नोचो

फिर भी उग ही आती हैं

वैसी ही होती हैं कुछ इच्छाएं।

नही जरूरत होती उनकी

बस मन में पलने लगती हैं

तकलीफ पहुँचाती हैं

दर्द देती हैं

चाहे कितना भी नोचो उखाड़ो और दबाओ,

मन में पलती ही रहती हैं,

खरपतवार की तरह होती हैं इच्छाएं।

जैसे कभी खरपतवार को खत्म करने के लिए

होता है दवाओं का छिड़काव,

ठीक उसी प्रकार से

इन इच्छाओं को करवाया जाता है सामना

बताया जाता है

कि नही है यह उपयोगी

नही है सही किसी भी दृष्टिकोण से

फिर भी मनमौजी सी ये

कहाँ सुनती हैं

उग ही आती हैं

दिल के बंजर जमीन पर

बिना खाद पानी के,

बिना परवाह ख्याल और जतन के

खरपतवार सी होती हैं ये इच्छाएं।

बेगैरत बेपरवाह मनमौजी।


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Ruchika Rai

ruchikarai

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

  • Kumar Sandeep · 3 years ago last edited 3 years ago

    उत्कृष्ट अभिव्यक्ति

  • Ruchika Rai · 3 years ago last edited 3 years ago

    Kumar sandeep thanks

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