अंतर्द्वंद्व

खुद से संघर्ष

Originally published in hi
❤️ 0
💬 0
👁 448
Ruchika Rai
Ruchika Rai 06 Dec, 2021 | 1 min read

स्वयं से स्वयं के लिए युद्ध

फिर आज मेरे मन में।

खुश रहने और खुश दिखने की जद्दोजहद

अपेक्षाओं और उपेक्षाओं का तानाबाना

संयम और व्यग्रता की अकुलाहट,

खुद को मजबूती से स्थापित करने

की एक और कोशिश।

थकती और हारती

फिर से दृढ़ता से परीक्षा के लिए तैयार

जीवन समर में संघर्ष

और पूर्णता अपूर्णता के बीच

झूलती रहती।


नही अब नही बनना मुझे 

बेबस लाचार और निरीह

लेकर आत्मबल का संबल

खुद में विश्वास और हौसलों का 

ले मजबूत पंख।

खुद से प्यार कर ,

मुस्कान को आत्मसात कर 

छोटी सी खुशी को भी दिल से महसूस करना।

जो है वही है विशेष है,

इससे इतर नही कुछ भी शेष।

यह स्वीकार कर,

मन के हर अंतर्द्वंद्व पर पाना है विजय।

यही हो मेरे मन में

स्वयं से स्वयं के लिए युद्ध का प्रतिफल।

0 likes

Support Ruchika Rai

Please login to support the author.

Published By

Ruchika Rai

ruchikarai

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

Please Login or Create a free account to comment.