स्वप्न

स्वप्न

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Ruchika Rai
Ruchika Rai 15 Mar, 2022 | 0 mins read

जागती आँखों में कुछ स्वप्न सजाये थे,

न जाने कब वो गए हमसे पराये थे,

सोचती ही रही की वो पूरे होंगे एक दिन,

उम्मीद टूटे और दिल में घने साये थे।


सोती आँखों ने कुछ स्वप्न सदा देखा,

हकीकत से दूर एहसासों से खींची रेखा,

मुस्कुराकर जीने की वजह देने को आतुर

इनसे ही मानो जुड़ी थी किस्मत की लेखा।


स्वप्न को हकीकत की जमीन पर लाने के लिए,

उनसे जीवन को सुखमय बनाने के लिये,

कठिन श्रम और साधना किये जाते हम,

उम्मीदों को यथार्थ के जमीन पर सजाने के लिए।


स्वप्न जीवन को सदा ही रंगीन बनाते,

कभी जीवन में खुशियाँ खूब है सजाते,

कभी गम के बादल जीवन पर है छाते,

कभी जीवन के उलझनों को सदा सुलझाते।


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