हम भी अगर बच्चे होते,
नही होता मन में कोई दुराव।
सब मिलजुलकर हँसते गाते,
नही रहता मन में कोई छल कपट भाव।
हँसते गाते ,खाते पीते,
मस्ती के धुन में खो जाते।
वो पापा के कांधे पर की सवारी,
वो मम्मी के गोद की नरम छाँव।
वो अपने यारों की टोली,
मस्ती में सारे हमजोली।
फिर से हम ये सारे होते,
हम भी अगर बच्चे होते।
वो भरी दुपहरिया खाक छानना,
वो मस्त मगन हो नाचना गाना,
वो दादी नानी की सुने कहानी,
नही कोई जिम्मेदारी,
करते रहते अपनी मनमानी।
हम भी अगर बच्चे होते।
वो कक्षा में करते शैतानी,
सबको याद दिला देते उनकी नानी,
वो बागों में खूब टहलना,
वो घूम घूम कर तितली पकड़ना,
अपनी चलती ये नादानी।
हम भी अगर बच्चे होते।
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