वर्तमान स्थिति

वर्तमान परिस्थिति और मनस्थिति

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Ruchika Rai
Ruchika Rai 01 May, 2021 | 1 min read

दिन भर की खबरें थका देती हैं

एक अनजाना डर मन के किसी

कोने में घर बना लेती हैं।

रात के गहरे अंधकार में एक

मजबूती से खुद को समझाती हूँ।

जो होगा देखा जाय कहकर

खुद के अंदर हिम्मत जुटाती हूँ,

अपने आस पास अपने करीबियों

को समझाती हूँ।

विधाता पर सब कुछ छोड़कर,

उन पर विश्वास जताती हूँ,

पर शायद विधाता भी नाराज है

हमारे कर्मों से

हमारी मरती इंसानियत से,

वह ले रहा परीक्षा हमारे जमीर की,

हमारी मानवता की।

जगा रहे हमारी इंसानियत को,

उद्वेलित कर रहा हमारे मन को,

कि अब भी हम चेत जाएं

संभाल ले खुद को।।

बस धैर्य बनाएं 

कि विपत्ति का यह समय 

टल जाएगा।

पर इससे पहले कालाबाजारी

जमाखोरी पर रोक लगाएं।

मरती संवेदनाओं को जिंदा 

करने का एक प्रयास कर जाएं।

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