बचपन

बचपन

Originally published in hi
❤️ 0
💬 0
👁 395
Ruchika Rai
Ruchika Rai 30 Jul, 2022 | 0 mins read

बचपन कुछ खट्टी कुछ मीठी बातें,

प्यारी प्यारी थी खुशियों के सौगातें,

नही कोई फिक्र नही कोई गम था,

अपनी धुन में कटती दिन और रातें।


धमाचौकड़ी मिलजुलकर खूब मचाते,

छोटे छोटे पलों में खुशियाँ मनाते,

कल के लिए नही सोचते थे कभी,

पल में रूठते और पल में मान जाते।


खो खो कबड्डी और छुप्पन छुपाई,

खेल खेल में जमकर हो जाती लड़ाई,

पल में कट्टी पल में दोस्ती हो जाती,

खुश हो जाते थे जब मिल जाता मिठाई।


हम बच्चों की थी एक जबरदस्त टोली,

मिलजुलकर मनाते दीवाली और होली,

हमारे बिन सब सूना सूना सा लगता था,

झट हाजिर हो जाते बस एक ही बोली।


भरी दुपहरी बागों में थे हम घूमते,

तितली पकड़ते और केरी चुनते,

गलियों में थे खूब शोर हम मचाते,

नये नये सपने हम थे खूब बुनते।


दादी नानी की थी प्यारी लगती कहानी,

गाते कविता अपनी खुद की जुबानी,

शिक्षक का कहना भी थे हम मानते,

बड़ों की बातें खुश होकर हमने मानी।


मुझे याद आता है वो मेरा प्यारा बचपन,

मम्मी की लाड और पापा का अनुशासन,

भाई बहन संग नोंक झोंक भी चलती,

फिर भी बड़ा खूबसूरत था वो जीवन।

0 likes

Support Ruchika Rai

Please login to support the author.

Published By

Ruchika Rai

ruchikarai

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

Please Login or Create a free account to comment.