मन प्राण हिंदी

हिंदी

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Ruchika Rai
Ruchika Rai 14 Sep, 2022 | 1 min read


रात के स्वप्न से लेकर दिन की हकीकत तक

सुबह की रोशनी से लेकर रात के अंधकार तक,

साँसों के आने से लेकर साँसों के जाने तक,

टूटती उम्मीदों से लेकर जुड़ते आस तक,

बिखरते वजूद से लेकर सम्भलते ज़ज्बात तक,

मन प्राण की भाषा हिंदी है वह हिंदी है।


माँ की लोरी से लेकर पिता की डाँट फटकार तक,

मित्रों के नोंक झोंक से भाई बहन के तकरार तक,

प्रियतम के मनुहार से लेकर नफ़रतों के वार तक,

मन की पीड़ा से लेकर दिल के उद्गार तक,

मन की कश्मकश से लेकर भावनाओं के ज्वार तक,

अभिव्यक्ति की भाषा हिंदी है वह हिंदी है।


अलंकार, रस और छंद से सदा ही वह सजी हुई,

मुहावरे और लोकोक्तियाँ से शृंगार कर बनी हुई,

तत्सम ,तद्भव,देशज विदेशज शब्दों से गढी हुई,

संज्ञा सर्वनाम,और विशेषणों से शृंगारित हुई,

वर्णों के मेल से बनकर शब्दों और वाक्यों के रूप,

सृजन की सरल भाषा हिंदी है वह हिंदी है।


आधुनिक युग में उपेक्षा का दंश झेलकर रहती,

अपने ही अस्तित्व के लिये संघर्षरत सदा रहती,

विभिन्न बोलियों और क्षेत्रों में बँटकर वह रहती,

भारतेंदु ,प्रेमचंद ,तुलसी ,निराला,पंत ,महादेवी

आदिकाल से लेकर नई कविता तक वह बढ़ती,

राष्ट्र भाषा के लिए संघर्षरत हिंदी है वह हिंदी है।

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