पड़ोस के शर्मा जी के आते ही राजू के पापा अंदर कमरे में चले गए,और बोले कि राजू जाकर शर्मा जी से बोल दो कि पापा घर पर नही हैं।
राजू बोला,पापा मगर आप तो कहते हैं कि झूठ नही बोलना चाहिए,फिर ये झूठ आखिर क्यों?
राजू के पापा ने डपटते हुए कहा कि आजकल तेरी जुबान बहुत ज्यादा चलने लगी है जितना मैं कहता हूँ उतना करो।
राजू डरते हुए बोला ठीक है पापा।
बाहर निकल कर राजू शर्मा जी से बोला ,अंकल पापा घर पर नही हैं ।
शर्मा जी ने कहा कि बेटा कुछ बता कर गए हैं कि क़ब तक आएंगे और कहाँ गए हैं?
राजू ने बोला नही अंकल उन्होंने कुछ नही कहा है।
राजू फिर पूछा अंकल कुछ जरूरी काम था?
शर्मा जी ने बोला नही कुछ खास नही ,बस उनके पैसे उन्हें लौटाने थे ,फिर कही खर्च न हो जाये।
कोई नही बाद में मिलता हूँ।ऐसा कहकर वह चले गए।
राजू ने कमरे में जाकर शर्मा जी के साथ हुई बातचीत को जब बताया उसके पिता सिर पीटने लगे,उन्हें बहुत अफसोस हो रहा था कि उन्होंने राजू से झूठ बोलने को क्यों कहा।
राजू ने कहा कि पापा आपने ही बताया था कि झूठ बोलने से खुद का नुकसान होता है तो हो गया आपका नुकसान।
राजू के पापा ने कहा हां बेटा मैं शर्मिंदा हूँ मुझे माफ़ कर दो ,आगे से तुम्हें गलत कार्य करने के लिए नही कहूँगा।
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