आईना

दर्पण

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Ruchika Rai
Ruchika Rai 13 May, 2022 | 0 mins read



काश की एक आईना ऐसा मिले,

जो मन के भावों से अवगत कराये।

सच झूठ का हमें पता बताकर,

हकीकत से रूबरू कर जाये।


एक आईना ऐसा मिले जो सदा ही

दिल के सारे भेद हमें बताये।

प्रेम नफरत के जो भी भाव हमारे लिए हो

उनसे हमको सजग सचेत कर जाये।


एक आईना ऐसा मिले जो चेहरे के ही नही

मन के भी सारे दाग हमें दिखाए।

मेकअप और फरेब की जो जमी परत है

उसके पीछे के सच को बतलाये।


एक आईना ऐसा मिले जो मित्र और अरि

का विभेद कर हमें स्पष्ट बताये।

अपनी बोली व्यवहार को कैसे बदलें

उनका यह हमें राह सुझाये।

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