अफ़साना

अफ़साना

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Ruchika Rai
Ruchika Rai 30 Nov, 2021 | 0 mins read

अफसाना जीवन का है लिखना आसान कहाँ,

कही कंकड़ राह बिछे कही रेगिस्तान है यहाँ,

दर्द की इमारत बनती है पूरी कहीं पर,

कही खुशियों से सजे दिखे पूरा ही जहां यहाँ।


काँटों की चुभन मिलती है राहों में कभी,

फूलों से बिछी हुई सेज दिखे हैं कभी,

हर्ष विषाद से मिल बने अफसाना जीवन का,

यह बात नई नही दिखती है कभी।


पतझड़ की वीरानगी सी छाये यहाँ कभी,

बसंत की बहार मिल जाती है कभी कभी

बारिश की फुहारें आकर आकुल मन में

विरहा की तपन जगाती रहती है कभी कभी।


अफसाना जीवन का दो दिलों को मिलवाये,

कभी दूर कर अपनों को मन की तड़प बढ़ाये,

एकतरफा रिश्ते चुभे कभी काँटों से यहाँ

कभी प्रेम प्रीत की डोर में मन को बंधवाये ।


अफसाना जीवन का कभी ख्वाबो में भटकाये,

कभी हकीकत की जमीन की है सैर कराये।

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