जिंदगी

जिंदगी

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Ruchika Rai
Ruchika Rai 04 Mar, 2022 | 1 min read

टूटने की हद तक सदा आजमाती है,

जिंदगी क्या बेदिली से पेश आती है।


जो कभी खुशी का एहसास होता है,

दर्द आकर मुझे हकीकत बताती है।


सम्भल कर चलती रही अक्सर मैं तो,

जिंदगी फिर भी मुझको गिराती है।


चाहती हूँ मुस्कान न मद्धम हो कभी,

पर ये आँसू आँखों को नम कर जाती है।


ज़िंदगी चाहती मुझको कमजोर करना,

कमबख्त ये तबियत कहाँ हार पाती है।


इम्तिहानें लेती रही जिंदगी मेरी सदा,

पर वो नही कभी फैसला सुनाती है।


थक रही हूँ जिंदगी अब इम्तिहानों से,

तेरी हकीकत अब रास नही आती है।


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Ruchika Rai

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