बेटियाँ

बेटियाँ

Originally published in hi
Reactions 0
215
Ruchika Rai
Ruchika Rai 24 Sep, 2022 | 0 mins read

घर आँगन की उजास हैं,

अपनों की सदा आस हैं,

खुशियाँ बिखेरती सदा ही,

बेटियाँ सदा होती खास हैं।


हर घर की वो बनती बहार है,

उनके होने से ही रहे प्यार है,

धूप और छाँव में संभालती,

नही उनके पास शब्द इंकार है।


संस्कारों को निभाती हैं वो,

हक नही कभी जताती हैं वो,

मुश्किल जब कभी आ जाये,

उसे वह धता बताती हैं वो।


रौनक उनके ही दम से हैं,

खुशियां ज्यादा गम से हैं,

खिलखिलाहट रहती सदा,

मुस्कान उनके करम से है।


आदमी को आदमी बनाने के लिए,

दुनिया में इंसानियत बचाने के लिए,

नफ़े और बरकत हो धरा पर,

जीवन को धरा पर लाने के लिए।


बेटियों को पलने और बढ़ने दो,

उन्हें सदा फूलने फलने दो,

प्यार और दुलार देते रहो सदा,

फिर उन्हें हर परिस्थिति में ढलने दो।

0 likes

Published By

Ruchika Rai

ruchikarai

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

Please Login or Create a free account to comment.