प्रेम

प्रेम

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Ruchika Rai
Ruchika Rai 24 Jul, 2022 | 0 mins read

तमाम हताशा और निराशा के क्षणों में

प्रेम के दो बोल

जब कानों में अमृत सदृश घुलते,

जीवंत करते हैं मुझको सदा ही।

अगर कोई इसे उम्मीद का नाम दे तो

हाँ शायद यह उम्मीद ही है

जो मुझको जीवंत करती।


ये प्रेम ही है जो मुझे हौसला देता

मेरे थके वजूद में जोश भरता,

मेरी बेचैनियों को राहत दिलाता

मुझे मेरे होने का मान दिलवाता

या फिर कभी मुझे हर दुख से उबार

मुझे स्वयं से प्यार करना सिखलाता।


जीवन के हर मोड़ पर मिलता प्रेम

माँ बाप भाई बहन मित्र रिश्तेदार

या फिर लगता कोई बेहद खास

इनके होने से हर एकांत में भी

नही एकाकीपन का होता एहसास

हर दर्द में भी मिलता राहत का साँस।



प्रेम जीवन के लिए ही बना,

जीवन को पूर्ण करता।

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Ruchika Rai

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