सदा अच्छाई देखें

सदा अच्छाई देखें

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Ruchika Rai
Ruchika Rai 26 May, 2021 | 1 min read



बिखरे पड़े हैं अनेकों मोती

इतने बड़े समुंदर में

क्या लेना है क्या चुनना है 

ये तुम खुद सोचो।

सदा ही अच्छाई देखो।


झूठ फरेब का बोलबाला है,

सच का बड़ा ही घोटाला है।

पर जितना भी सच तुम जानो,

उतना तो तुम बोलो 

सदा अच्छाई देखो।


दुख के घने काले बादल हैं,

धरा हो रही जलमग्न है।

पर उन बादलों से गिरता जल,

शीतलता लेकर आता है।

इसीलिए सदा अच्छाई देखो।


रोग बीमारी घिर आई है,

संकट धरा पर छाई है।

एकजुट होकर सभी लगे हैं,

मुसीबत जो आई है।

इस सच को तुम जानो

बस तुम सदा अच्छाई देखो।


हारी बीमारी की विपत्ति भारी,

नही उबर रहे नर नारी।

इन सबमें जो प्राण बचा है तेरा

यह ईश्वर की महिमा न्यारी।

इनको तुम सब जानो

बस तुम अच्छाई देखो।


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