ख़्वाब

ख़्वाब

Originally published in hi
Reactions 0
174
Ruchika Rai
Ruchika Rai 05 Nov, 2022 | 1 min read

कुछ ख़्वाब हमने बुने थे,

कुछ कहे ,अनकहे सिलसिले थे,

कुछ पूरे होकर दिल को सुकून पहुँचा गए,

कुछ बेचैनियों में डूबे हुए थे।


कुछ ख़्वाब मेरे जगती आँखों ने देखा था,

नही कर सकते जिनको अनदेखा सा।

कुछ ख़्वाब उनींदी पलकों पर आये,

दिल में अधूरेपन की कसक छोड़ जाएं।


ख़्वाब यह नही की बड़ा नाम यश पाऊँ,

ख़्वाब यह भी नही की जमीन छोड़ गगन की

बुलंदियों को पाऊँ।

ख़्वाब बस इतना सा मन में है कि 

अपनों का साथ और परायों से भी अपनापन पाऊँ।


ख़्वाब यह है कि दर्द में मैं मुस्कुराऊँ,

ख़्वाब यह भी की उदासी में गीत गुनगुनाऊँ,

ख़्वाब बस इतना कि किसी के होठों पर मुस्कान

सजाने को

कोई न कोई मैं बहाने ढूंढू।


ख़्वाब यह कि मैं किसी के खुशी का कारण बन जाऊँ,

ख़्वाब यह भी की किसी के हौसलों की वजह बन जाऊँ,

ख़्वाब ज्यादा नही बस इतना सा ही है मेरा,

बुझते हौसलों की प्रेरणा बन उनके अंदर जोश जगाऊँ।

0 likes

Published By

Ruchika Rai

ruchikarai

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

Please Login or Create a free account to comment.