जिंदगी

जिंदगी

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Ruchika Rai
Ruchika Rai 11 Dec, 2021 | 0 mins read

हर्ष विषाद दोनों को संभालती जिंदगी,

खुशी और गम में पुकारती है जिंदगी,

हानि लाभ को संग संग लेकर चलती हुई,

दर्द में कराहती खुशी में मुस्कुराती जिंदगी।


धोखे खाकर कभी बिलखती जिंदगी,

कभी टूटकर खुद में सिमटती जिंदगी,

अपेक्षाओं के तिलिस्म में उलझकर कभी,

उपेक्षाओं के दंश को है सहती है जिंदगी।


झूठे अभिमान में बिखरती है जिंदगी,

बेवजह के तकरारों में सिसकती जिंदगी,

प्रेम के तलाश में भटकती रही सदा ही,

पर खुद से प्रेम करने से मुकरती जिंदगी।


सबक जिंदगी का ले आगे बढ़ती जिंदगी,

मृत्यु से पहले जिंदगी को जीती है जिंदगी,

मेरा तेरा के किस्से को खत्म कर आगे बढ़े,

जीवन का नया आयाम गढ़ती है जिंदगी।

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