साँवली सूरत

एक छोटी कहानी

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Ruchika Rai
Ruchika Rai 18 Aug, 2022 | 0 mins read

साँवली सूरत वाली श्यामा जब घर में दुल्हन बन कर आई तो दिन भर उसे याद दिलाया जाता कि उसका रंग दबा हुआ है और न चाहते हुए भी उसका आत्मविश्वास डगमगा जाता।

हालाँकि श्यामा हर क्षेत्र में अव्वल थी,खेल कूद हो या पढ़ाई नृत्य संगीत हो या पाककला कोई भी उसको पीछे नही कर सकता था।

व्यवहार की भी वह धनी थी,मृदु भाषी,शांत,गंभीर ,सुलझे विचारों वाली।

असम्भव शब्द उसके शब्दकोश में था ही नहीं ,किसी भी कार्य को करती तो उसे पूरे करके दम लेती।

सभी कहते कि वह जिस घर में जाएगी उस घर को स्वर्ग बना देगी,परंतु यहाँ तो ठीक उसके विपरीत ही स्थिति थी।

धीरे धीरे वह कमजोर पड़ रही थी,पर उसने अपने स्वभाव को बिल्कुल ही नही बदला था।वह शांत भाव से अपने कामों में लगी रहती ,तमाम उपेक्षाओं और तिरस्कार के बाद भी।

एक दिन अचानक ही श्यामा की सासू मॉं को दिल का दौरा पड़ा और वह पूरी तरह पैरालाइज हो गयीं।जहाँ सारी बहुओं ने धीरे धीरे किनारा कर लिया श्यामा ने दिन रात सेवा करके उन्हें पचास प्रतिशत तक ठीक कर लिया।अब वही सासू माँ कहती कान्हा जी भी तो साँवले थे मेरी बहू साँवली हुई तो क्या

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