गया हूँ मैं

चंद शेर

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Ruchika Rai
Ruchika Rai 20 Sep, 2021 | 0 mins read


राह से यूँ गुजर गया हूँ मैं,

हादसों से डर गया हूँ मैं।

चोट दिल की कम नही होती,

दर्द से यूँ ही मर गया हूँ मैं।

महफिलों में बने न तमाशा,

वक़्त संग सम्भल गया हूँ मैं।

आदतों को बदलता कैसे वो,

आदतों में उन पड़ गया हूँ मैं।

फूल की खुशबू मन में बसी,

खुशबूओं से भर गया हूँ मैं।

सफर जिंदगी की कठिन लगे,

कठिन डगर पर बढ़ गया हूँ मैं।

मंजिल से पहले न रुके कदम,

जिद पर अपने अड़ गया हूँ मैं।

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