देश की रक्षा में हम अपना शीश कटायेंगे,
देश के लिए हम अपना ऋण यूँ चुकायेंगे।
नही कोई दुश्मन इसके सीमा को पार करे,
कुछ इस तरह हम ढाल सदा बन जाएंगे।
सफेदपोशों से इसको सदा बचाने के लिए,
हम भ्र्ष्टाचार को पूरे जड़ से ही मिटायेंगे।
घर में ही छुपे हैं देश के कुछ गद्दार यारों
उनको हम उनकी औकात जरूर दिखाएंगे।
छोटी छोटी बातों पर होते हैं दंगे फसाद,
उनको रोकने में हम पूरी कसर लगाएंगे।
धर्म संप्रदाय के नाम पर हो रहे हैं झगड़े,
उन झगड़ों से दूर रहकर सबको बचाएंगे।
देश के अंदर पल रहे हैं कुछ गद्दार यारों,
उनको हम एकजुट हो रौद्र रूप दिखाएंगे।
अपनी नेकियों की खुशबू से हर कोने में
देश का नाम स्वर्णाक्षरों में हम लिखवाएंगे।
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