किताबें

पुस्तक दिवस की शुभकामनाएं

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Ruchika Rai
Ruchika Rai 23 Apr, 2022 | 1 min read

चंद किताबें मेरे सिरहाने,

अक्सर रहा करती हैं।

सोचती हूँ कि हटा दूँ उसे,

दे दूँ जगह उसकी किसी और को,

मगर...

नही कर पाती ऐसा।

कुछ उलझनें सुलझाती,

कभी अपनी सी बन 

मुझे वह बहलाती।

मेरे जज्बातों के रंग में रंगी वह,

कभी प्रेम ,कभी विरह,

कभी दर्द,कभी छल, कभी परवाह

के वह किस्से भी सुनाती।

चंद किताबें जिसने मुझे गढ़ा,

जिसने मेरा परिचय दुनिया से किया।

नही छूट पाती,

नही भूल पाती।

उन किताबों से ही सीखा मैंने,

खुद को स्थापित करना,

खुद को अपने रंग में रंगना।

उन किताबों में रम कर

मैं उसी की हो जाती,

और स्वयं को भूल जाती।

कुछ किताबों में जब दमकते

मेरे अक्षर,शब्द ,वाक्य 

उन सबसे झलकती मेरी भावनाएं,

मेरे विचार और मेरी उलझन।

खुद ही मेरे चेहरे पर 

एक स्निग्ध मुस्कान

बिखर जाती।

ये चंद किताबें मेरे लिए

मेरा सम्बल ,मेरा हिम्मत,

और मेरा पथ प्रदर्शक बनकर

हौसला दे जाती।

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Ruchika Rai

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