पानी की तरह सरलता हो जीवन में,
जिसमें भी चाहे हम घुल मिल जाये।
काम आ सके दूसरों के सदा ही हम,
जीवन अपना कुछ ऐसा ही बनाएं।
शुद्व स्वच्छ जल जैसे हो उपयोगी,
वैसे ही हम अवगुण रहित बन जाये।
अपने गुणों से ही हम अपनी एक
अमिट पह्चान मानस पर बनाये।
जल बिना जीवन संभव नही यहाँ,
यह हम सभी पहले से जानते हैं।
कर्म कुछ ऐसा करें हम अपने जीवन,
जनमानस पर अपनी छवि बनाएं।
पानी का कोई मोल नही लगा सकता,
यह है एक प्राकृतिक धरोहर।
वैसे ही हम अपने व्यवहार से सदैव
खुद को अनमोल सदा ही बनाये।
पानी को दूषित होने से बचाने हेतु,
लाख जतन हम करते आये हैं।
खुद को अवगुणों से दूर रखने के लिए,
सदैव ही हम अपना प्रयत्न कर जाए।
पानी अनमोल है इसे व्यर्थ न बहाए,
यह प्रतिज्ञा सब आपस मे मिल कर जाएं।
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संदेश प्रद
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