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राजनीति

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Ruchika Rai
Ruchika Rai 18 Jan, 2022 | 1 min read

राजनीति की बिसात पर, मोहरे बिछने को तैयार है,

यह बात कोई नई नहीं, होता यही हर बार है।


जन हित, लोक कल्याण की दुहाई दी जाएगी,

कुछ मुफ्त सामग्री देकर भावनाएं खरीदीं जायेंगीं। 

चुनावी बिगुल बजते ही, क्षेत्र की सुधि ली जाएगी,

पर उसके बाद क्या होगा, ये नया नही कारोबार है।


राजनीति की बिसात पर मोहरे बिछने को तैयार है


दल बदल से लेकर, नये दलों का निर्माण होगा,

कर्मयोगी बनकर कार्य रात से विहान तक होगा,

फिर जनता सेवा का ढोंग अपने परवान तक होगा

फिर जो भी होगा वह नया नही व्यापार है।


राजनीति की बिसात पर, मोहरे बिछने को तैयार है


कौन नेता कौन सा दल, ये सारे ही ढकोसले है,

जाति धर्म के नाम पर, ये उलझाते सारे मसले हैं

सफेदपोशी की चादर ओढ़े, दिखाते हौसले हैं

जनता इन सबको देख, बीच पड़ी मँझधार है।


राजनीति की बिसात पर मोहरे बिछने को तैयार है।


अपनी लड़ाई खुद लड़ो, खुद ही तुम हथियार बनो,

अपने वोट की कीमत समझो, नही इसे बेकार करो,

स्वयं हित से उठकर ऊपर, देश हित का तुम सोचो,

यही इन राजनीतिज्ञों पर असली तुम्हारा वार है।

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