जिंदगी हर पल रेत सी फिसलती जा रही है,
समेटने की जद्दोजहद में बिखरती जा रही है।
ये मिला नही वो पाया नही ये अफ़सोस सदा,
इस अफसोस के संग वह सरकती जा रही है।
उम्र के दोराहे पर खड़ी घट रही या बढ़ रही,
सँवारने की कोशिशें सदा बिगड़ती जा रही है।
अपने कर्म से ही रोशन करें अपने जीवन को,
उस रोशनी से देखो ये कैसे चमकती जा रही है।
हिम्मत हौसलों की पतवार थामे हैं हाथ में,
फूल की खुशबू सी यह महकती जा रही है।
दुख खड़ा है सिरहाने दर्द के भारी गुबार संग,
जिंदगी दर्द के साथ स्वयं में सिमटती जा रही है।
हर तकलीफ़ में मुस्कुराहट कायम रहे सदा,
मुस्कान होठों पर सजा यह सँवरती जा रही है।
मरने की हजार वजहों के बीच में उलझी यह,
जीने की एक वजह संग बढ़ती जा रही है।
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