बीते को भूल कर आगे बढ़े चलिये,
मौन नही ठीक है कुछ शब्द कहिए,
तोड़िये अदृश्य बेड़ियों को राह की,
भुलाकर पीछे की आगे राह बढिये।
जो मिले राह में उनको स्वीकार करो,
जो पीछे छूटे उनका मत अफसोस करो,
सहज भाव से बढ़े चलो न इनकार करो,
जीवन के हर फैसले को तुम इकरार करो।
फूल से टूटती कली बोलो क़ब जुड़ती,
नदियों की लहरें कहाँ पलट कर मुड़ती,
नभ के टूटे तारे आपस में कहाँ मिलते,
गए वक्त का पहिया पीछे कब चलती।
दिल के दर्द को एक बार ये समझा दो,
जो है उसका उसे उससे तुम मिला दो,
जो किस्मत में नही वो दर्द रूप मिलते हैं
ये हकीकत सदा तुम दिल को बता दो।
एक बार गिरने से जिंदगी नही खत्म होती,
बन पाषाण जब वह हर चोट को सहती,
तभी निखरती कुंदन सरीखी तेज संग,
बन इतिहास वह स्वयं एक नया इतिहास गढ़ती।
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