लेखनी

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Ruchika Rai
Ruchika Rai 30 Jan, 2022 | 0 mins read

लेखनी में हमारे धार हो,

इससे ही गहरा वार हो,

चोट सीधे उसको लगे जो

देश का बड़ा गद्दार हो।


लिखना तुम्हारा व्यर्थ है,

उसका न कोई अर्थ है,

जब तक दिलों तक न पहुँचे,

वह बिल्कुल अनर्थ है।


लिखो कि सफेदपोश बेनकाब हो,

लेखन में तुम्हारे कुछ ऐसी आग हो,

भस्म कर दे वह भरष्टाचारियों को

शब्दों में कुछ इस तरह का ताव हो।


लिखो की खून में उबाल आये,

लिखो की जोश को न संभाल पाये,

लिखो की देश के हित के लिए

हम कदम को सदा ही बढ़ाये।


बेमतलब का लिखना भी क्या लिखना,

जिससे देश हित न हो वो क्या सीखना,

दुश्मन का कलेजा न कॉंप उठे,

वो लिखना ही क्यों है हमें दिखना।

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Ruchika Rai

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