कब

अश्क छलकते हैं कब

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Ruchika Rai
Ruchika Rai 01 Apr, 2021 | 1 min read

अश्क ऐसे आँखों से छलकते हैं कब,

बात बेबात ऐसे आँखें बरसते हैं कब।


तेरे दीदार को तरसते हैं ये मेरे नैन,

तेरी चाहत में ऐसे तड़पते हैं कब।


तू हर वक्त मेरे ख्यालों में बसा हुआ,

 मिलने को ये दिल मचलते हैं कब।


घड़ी दो घड़ी पास आके ठहर जाओ,

ये दिल तुझको देख बहकते हैं कब।


मेरी साँसों में तेरा नाम बसा हुआ है,

मेरा दिल तेरे नाम पर धड़कते हैं कब।


तेरे नाम का जिक्र चला महफ़िल में,

मेरी साँसें नाम सुन महकते हैं कब।


तू आकर आगोश में ले मुझे एकबार,

देखूँ मेरा जिस्म यूँ पिघलते हैं कब।

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