समाज का एक काला सच दिखाती वेश्यायें,
जिस्मफरोशी का धंधा करती हैं ये महिलाएं,
गालियाँ उनके ही हिस्से आती हैं अक्सर,
मजबूरी में करती है अक्सर ये धंधाएँ।
समाज के अक्सर ताने वही सदा ही सुनती,
गालियाँ अक्सर ही उनके नाम पर बनती,
मजबूरी उनकी समझ पाता कहाँ कोई,
क्यों अपने जिस्म को है दूसरों को सौंपती।
क्या ये धंधा सिर्फ उनके ही नाम पर चलता,
क्यों पुरूषों पर कोई सवाल नही है उठता,
जिस्म की भूख मिटाने वह उनके पास जाते,
फिर उनका कोई दूसरा नाम नही उठता।
स्त्री अपनी लज्जा हया शर्म तभी बेचती है,
जब मजबूरी उसके परिवार पर आन पड़ती है,
वेश्याओं की मजबूरी आप जरा समझिए,
देखिये उनके अंदर का दर्द क्या कहती है।
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