संघर्ष

संघर्ष से नही डरूँगी

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Ruchika Rai
Ruchika Rai 30 Aug, 2021 | 1 min read

थक ,हारकर बैठ जाऊँ,

यह मुझे स्वीकार नही।

नियति के आगे सिर झुकाऊँ,

इसके लिए तैयार नहीं।


साँस के अंतिम क्षण तक लडूंगी,

बाधा विघ्नों को पार करूँगी।

हो डटकर सामना करूँगी मुश्किलों का,

नही कभी मैं हार से डरूँगी।


हो कँटीली राह क्यूँ ना,

रास्ते में पत्थर तमाम क्यूँ ना,

संघर्षरत मैं फिर भी रहूँगी,

चाहे मिले जीत या हार क्यूँ ना।


दर्द की इंतहा क्यों न आये,

मुश्किलों में नही कभी घबड़ा आये,

मेरी जीवटता जिजीविषा देखकर,

मृत्यु भी सदा ही खौफ खाये।


बस यही स्वीकार करूँगी,

स्वाभिमान की रक्षा हेतु बढूँगी,

विनम्रता हथियार है मेरा,

मगर आत्मसम्मान के लिए नही झुकूँगी।

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