थक गई हूँ

थोड़ा आराम चाहती हूँ

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Ruchika Rai
Ruchika Rai 24 Feb, 2021 | 1 min read



थक गई हूँ अब थोड़ा आराम चाहती हूँ,

जिंदगी अब नही कोई काम चाहती हूँ,

मुखौटे भरे चेहरे है हर तरफ मेरे,

उनसे नही झूठी कोई नाम चाहती हूँ।


वक़्त आया तो प्यार दिखलाया,

फिर देखकर मुझे नजरें चुराया,

बार बार चेहरे बदलकर सामने दिखे,

उन सबसे छुटकारा नही पाया।


झूठी हमदर्दियो का ये सिलसिला,

जिंदगी से बस इतनी है गिला,

जो है उसका स्वीकार करना,

बस इतना सा ही काम चाहती हूँ।


थक गयी हूँ मजबूती की मिसाल बनकर,

थक गयी हूँ सवाल का जबाब बनकर,

खुलकर जीना चाहती हूँ जैसी मर्जी,

अभी नही जीना मुझको आदर्श का ढाल बनकर।


थक गई हूँ जिंदगी अपने अरमानो को दबाकर,

अपने स्वप्नों को आँखों मे छुपाकर,

अपने जज्बातों को भुलाकर,

थक गई हूँ सच में अपने अस्तित्व को भुलाकर।



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Ruchika Rai

ruchikarai

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

  • Kumar Sandeep · 3 years ago last edited 3 years ago

    उम्दा रचना

  • Ruchika Rai · 3 years ago last edited 3 years ago

    Shukriya

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