बुजुर्ग पिता

बुजुर्ग पिता

Originally published in hi
❤️ 0
💬 0
👁 369
Ruchika Rai
Ruchika Rai 25 Apr, 2022 | 1 min read

बुजुर्ग होते पिता ,मित्र बन जाते हैं

अनुभव की भट्ठी में तपे हुए वो

अपने अनुभव को सांझा करते हैं।

नही थोपते निर्णय अपना,

बस मार्ग अपने नजरिये से सुझाते हैं।

हालाँकि कभी कभी कल और आज में सामंजस्य नही बिठा पाते,

मगर फिर भी समझौतावादी हो जाते हैं।

बुजुर्ग होते पिता जो सख्त थे कभी नारियल की तरह सहज हो जाते हैं।

छोटी छोटी बातों से खुश हो जाते वो,

थोड़ा सा ध्यान और प्यार से पिघल जाते हैं,

बुजुर्ग होते पिता एक मित्र बन जाते हैं।

अपने ऊपर खर्च करना अब भी फिजूलखर्ची लगती उन्हें,

मगर बच्चों द्वारा दिए गए उपहार में वो प्यार छुपा पाते हैं।

जिम्मेदारियों को निभाते हुए सारा जीवन बिताने वाले,

जिम्मेदारी से मुक्त होकर सुकून बड़ा पाते हैं।

खुश होते बच्चों की प्रगति से,

मगर अपनी खुशी नही दिखाते हैं।

अभी भी फिक्र उतनी ही रहती बच्चो की,

जब तक बच्चे घर न आ जाये तब तक चैन नही पाते हैं।

बुजुर्ग होते पिता एक मित्र बन जाते हैं।

प्यार दिखाने में अभी भी सहज नही होते वो,

माँ को ही वो माध्यम बनाते हैं।

तकलीफ में देख बच्चों को सुकून से नही रह पाते हैं,

कितना भी बड़े हो जाये संतान उनकी 

बस बच्चे ही समझते रह जाते हैं।

बुजुर्ग होते पिता मित्र बन जाते हैं।

बरगद के पेड़ की तरह होते वो,

जमाने की आँच से अब भी बचाते हैं,

बुजुर्ग होते पिता मित्र बन जाते हैं।

0 likes

Support Ruchika Rai

Please login to support the author.

Published By

Ruchika Rai

ruchikarai

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

Please Login or Create a free account to comment.