एहसास

एहसास

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Ruchika Rai
Ruchika Rai 25 Jun, 2021 | 1 min read

जैसे सूरज की तपन का एहसास

ठंड में नही हो सकता।

जैसे घने कोहरे के आस पास

धूप नही खिलता।

जैसे प्यासे को लगी हो जब प्यास

पानी के मूल्य को वही समझ सकता।

वैसे ही दर्द को जीने वाला ही दर्द 

को लिख सकता।

हँसी के ठहाकों के बीच गम को

छुपाने की अदा,

लाखों गम हो जीवन में फिर भी

मुस्कुराने की अदा।

जीवन के हर पल को मुस्कुराते हुए

जी जाने की अदा,

या फिर दूसरों के साथ विनम्रता और

प्रेम से पेश आने की अदा,

ये सब जीवन के कड़वे तजुर्बे के

संग ही आता है।

तिमिर मन के अंदर जब घना गहरा हो,

वह चारों तरफ़ रोशनी फैलाता है।

पन्ने पर समेटता है वही दर्द जब खुद

को बिखरा हुआ पाता है।

जीवन का यह सीधा सच्चा नजरिया

हर किसी के समझ में कहाँ आता है।

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Ruchika Rai

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