नियति के खेल

नियति

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Ruchika Rai
Ruchika Rai 22 May, 2021 | 0 mins read



नियति के खेल मुझे समझ न आया,

नियति ने हर बार मुझे है आजमाया,

हर बार की परीक्षा दर्द देती जाती है,

पर नियति को जरा भी सब्र न आया।


एहसासों और जज्बातों का पुलिंदा संग,

पर वो सदा ही रहे जीवन में मेरे बेरंग,

जब भी जरा रंग भरने की कोशिश की,

नियति ने हर रंग मुझसे हर बार चुराया।


नियति से मेरी जंग अनवरत ही जारी है,

उसने भी मुझे हराने को करी तैयारी है,

पर नियति को मैंने भी यह जतलाया,

हार कर नही बैठने की जिद हमारी है।


नियति ने मुझे दर्द देकर बड़ा आजमाया,

नियति के इस चक्र से निकलना हो न पाया।


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Ruchika Rai

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