सपना

सपना ख़्वाब

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Ruchika Rai
Ruchika Rai 25 Jul, 2021 | 1 min read

मन के कोने में दबी अधूरी इच्छाएँ,

स्वप्न बन कर आँखों में छाती।

पूरी करने की अधूरी कोशिशें

मन में है एक उम्मीद को जगाती।

ख़्वाब क्या जो बंद आँखों में सिमट जाये,

नये अरमान ,नई ख़ुशियाँ

पल भर को सही जीवंतता का एहसास कराये।

नहीं मुक़म्मल होंगे जो फिर भी

होठों पर मुस्कान बन छा जाए।

या फिर संगीत की धुन के साथ थिरक कर

उमंगों का सुखद एहसास दे

और दिल की बंजर जमीन पर 

एक प्रेम पुष्प को है खिलाये।

या फिर ख़्वाब वह जो

जागती आँखों से देखें

और पाने की जुगत कर मन में है विश्वास जगाये।

अकर्मण्यता की जंजीरों को तोड़

कठिन कार्य करने को प्रेरित कर जाये।

जो भी हो ख़्वाब मन की अधूरी इच्छाएँ

नैनों में आकर बस जाएं।

कभी पलकों पर उदासी बन आँसू के साथ सिमट जाये।

या फिर कभी स्वेद के संग बहकर 

खुद के लिए एक राह बनाये।

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