हँसकर जीना

खुशी से जीओ

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Ruchika Rai
Ruchika Rai 05 May, 2022 | 0 mins read

हर उजाले के बाद अंधियारा,

हर अंधियारे के बाद उजाला,

उगता सूरज जब यूँ ढलेगा

तारों की बारात सजायेगा।


पेड़ों से पत्ते गिरेंगे एक दिन,

खिले फूल भी मुरझाएँगे।

पतझड़ के बाद लेकिन फिर

बसंत आ स्निग्ध मुस्कान लायेगा।


गर्मी से तपता हर मन जब

सुकून कही नही पायेगा।

तभी पुरवा के झोंको संग

बारिश आ तन मन भींगायेगा।


मिलने वाले बिछुड़ेंगे एक दिन,

नया जन्म फिर पायेंगे।

डोली में विदा होती कन्या

पिता से बिछुड़ पिया संग जाएगी।


फिर हर छोटी बातों पर रोना क्यों

वक्त कुछ नही बदल पायेगा।

जीना है तो हँसकर जीना है

रोकर जीना क्या जीना कहलायेगा।

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Ruchika Rai

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