प्रेम की सार्थकता सिद्ध होती है,
जब आप हर हाल में मजबूती से डटे रहते हैं।
प्रेम में महसूस किया सदा ही,
जीवन का हर पल आनंदित होता।
तुम्हारे चाहत में खुद को चाहना,
खुद को सँवारना,
एकांत के क्षणों में तुम्हें सोचकर ,
पल पल हर क्षण मुस्कुराना।
प्रेम की सार्थकता सिद्ध होती है,
जब आप हर हाल में मुस्कुराते रहते हैं।
प्रेम में मुश्किल भरे डगर को पारकर,
अपने मंजिल की ओर कदम बढ़ाना।
हर ख़्वाब में तुम्हारा तसव्वुर करना,
और फिर तुम्हें महसूस करना।
दूर रहकर भी तुम्हारे करीब होना,
दुख सुख दोनो में साथ महसूस करना।
प्रेम की सार्थकता सिद्ध होती है,
जब सूरत से ज्यादा सीरत को चाहा जाता।
जब गुलाबी होंठ से ज्यादा
निश्छल मुस्कान दिल को लुभाते।
तुम मुझ साधारण को असाधारण बनाना,
या फिर आम को खास बनाना।
तुम्हारा जी भर कर अपना प्यार लुटाना,
और उस प्यार से मेरा आनंदित होना।
प्रेम की सार्थकता स्वयं प्रेम में सिद्ध होती,
स्वयं प्रेम को प्रेममय करती।
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