संगीत

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Ruchika Rai
Ruchika Rai 23 Sep, 2021 | 0 mins read




लय तुक छंद से बनी हुई कविता

बन गयी गीत,

साज सुर से सजकर होठों पर थिरकी

कहलायी संगीत।


संगीत वह हिय को सुकून पहुँचाये,

प्रेम रस से भींग कर सराबोर कर जाये,

दर्द में वो मरहम बनें सदा ही हमारी,

एकांत में वह मन को बहुत भाये।


संगीत की धुन पर मन थिरकता है,

जाने अनजाने गुनगुनाने को मचलता है,

संगीत रौनकें बहार बनकर के सदा,

धड़कनों के साथ मिलकर धड़कता है।


संगीत उमंग और उल्लास का प्रतीक है,

जीत में मन के भावों से निकलता गीत है,

संगीत वेद है ,मंत्र है ,मंत्रोच्चार भी है,

संगीत ईश्वर से भक्ति का दिखलाता प्रीत है।


संगीत बिना जीवन में नही कोई रंग है,

यह हमारे रस्मों के चलता सदा संग है,

संगीत बिन कहाँ उत्सव की कोई बहार है,

संगीत से नाचता हमारा हर अंग है।


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Ruchika Rai

ruchikarai

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  • Kumar Sandeep · 4 years ago last edited 4 years ago

    हर विषय पर आप शानदार लिखती हैं मैम

  • Ruchika Rai · 4 years ago last edited 4 years ago

    हार्दिक शुक्रिया संदीप जी

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