श्राद्ध कर्म

पूर्वजों को नमन

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Ruchika Rai
Ruchika Rai 25 Sep, 2021 | 1 min read




जीते जी न कभी परवाह की,

न ख्याल रखा,

नही कभी मनपसंद की चीजें 

किया था अर्पण

और अब कर रहे तर्पण।

क्या है ये कर्म,कैसा है ये फर्ज

मेरी समझ से परे हो जाता है

कभी कभी क्या ,अक्सर ही श्राद्ध कर्म।

क्वार मास शुक्ल पक्ष,

पितरों को तर्पण।

उनकी याद में दान पुण्य,

श्रद्धा सुमन अर्पण।

यादों के लिए खोलते सभी मन का दर्पण।

पुराने रीति रिवाज और मान्यताएं,

पुत्र करेगा जब दान पुण्य

तभी मिलेगी आत्मा को शांति

और होगा सच्चे अर्थों में तर्पण।

चाहे कितना भी जुड़ाव रहा हो

या किया हो सेवा ।

या रखा हो ख्याल,

लुटाया हो प्रेम और सम्मान

नही कर सकती बेटियाँ तर्पण।

बेटियाँ विवश करती है श्रद्धा सुमन अर्पित

रहकर मौन

दो बूँद अश्रु के साथ।

श्राद्ध कर्म मृत्यु के बाद करें आत्मा की शांति हेतु

उससे पहले जीवित रहते ही

रखें थोड़ा ख्याल,परवाह ,फिक्र

लुटाएं प्यार

रखें उनकी इच्छा का मान

और दें यथोचित सम्मान।

यही होगा सच्चे अर्थों में आत्मा की शांति

और उनके लिए हमारा फर्ज ,हमारी मान्यताएं

और उनसे भी ज्यादा हमारा समर्पण।

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