अजनबी

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Ruchika Rai
Ruchika Rai 08 Nov, 2021 | 1 min read

एक अजनबी से जो मुलाकात हुई,

दिल की धड़कनों की अजीब हालात हुई,

लब खामोश हुए होठ थिरकने लगी,

नैनों की नैनों की आपस में बात हुई।


वो अजनबी अब अजनबी न रहा,

दिल की वो धड़कन मेरे बन गया,

मेरे रूह को सुकून मिलती है सदा ही

जब भी ख्याल मेरे जेहन में उसका रहा।


अजनबी से जब कभी रिश्ता मिले,

दिल में है सदा ही मुहब्बत के फूल खिले,

साँसों का ये अजीब चलता सिलसिला,

मन में रहे नही कोई शिकवे गिले।


प्रेम से अजनबी भी अपने बन जाते,

अपने भी न जाने क़ब सपने बन जाते,

यही सिलसिला हर वक्त है चलता रहा,

दुनिया की चाल को हम समझ नही पाते।




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