जीने का अंदाज

जीने का अंदाज

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Ruchika Rai
Ruchika Rai 03 Jun, 2021 | 1 min read

जिंदगी के शर्त पर खुद को चलाती हूँ मैं,

बात बेबात आँसू अब नही बहाती हूँ मैं।

मुश्किलों के दौर में भी नही कभी रुकी,

अपने आप को ऐसे जीना सिखातीहूँ मैं।

शोहरत की लालच नही रही कभी मुझे,

पर अपनी हुनर को सदा आजमाती हूँ मैं।

परीक्षाएँ जिंदगी हर बार लेती है रही,

परीक्षाओं से नही कभी घबड़ाती हूँ मैं।

संघर्षों से निखरकर कुंदन खरा होता,

इसी बात को सदा अमल में लाती हूँ मैं।

मेरा वजूद सदा ही प्रेरणा बनता रहे,

लक्ष्य जीवन का सदा यही बनाती हूँ मैं।

अपनी मुस्कान से जीवन को हौसला दूँ,

यही बात दुनिया को समझाती हूँ मैं।

जीवन की आपाधापी में सब फँसे हैं,

आस किसी और से नही लगाती हूँ मैं।

यूँ अकेले चलने का हुनर सीख लिया,

इस हुनर से खुद में विश्वास जगाती हूँ मैं।

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