पर्वत

पर्वत

Originally published in hi
Reactions 0
268
Ruchika Rai
Ruchika Rai 30 May, 2021 | 1 min read



दृढ़ अडिग अटल खड़ा 

पर्वत देता हमको सीख।

मुश्किल चाहे कितनी भी

नही बनो कभी अधीर।


जड़ी बूटी से सजी हुई,

बनती सबके लिए उपयोगी।

पर्वत से निकलते जल,

जब हो जल का सोता फूटे।


छूता नभ को उच्च शिखर,

जतलाता है हमको।

अडिग रहो अगर कर्मपथ पर,

छू सकते हो नभ को।


पर्वत पर हरियाली छाई,

देती है ये एहसास।

कितना भी ऊँचा उठे,

विनम्रता बनाती हमें खास।


पर्वत सा बनाएं अपना व्यक्तित्व,

गगन को छू सके हमारा कृतित्व।



0 likes

Published By

Ruchika Rai

ruchikarai

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

Please Login or Create a free account to comment.