वो आँखें

आँखें

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Ruchika Rai
Ruchika Rai 22 Oct, 2021 | 0 mins read




है जीवट चंचल हँसमुख सी,

बातों में है झलकती ख़ुशियाँ,

अधरों पर मुस्कान सजी है,

पर आँखों के सूनापन का क्या?


धैर्य का पर्याय बनी वो,

सहनशक्ति की मिसाल बनी वो,

महफ़िल की है जान सदा वो,

पर आँखों की उदासी किससे छुपा?


है स्वाभिमान से भरी हुई वो,

विनम्रता ही पहचान बनी,

निडरता झलकती उसकी बातों में,

पर आँखों में भविष्य की अनिश्चितता गहरी।


है जन्मदात्री पालनकर्ता सर्वदा,

सुख दुख की भागीदार बनी,

सबकी खुशियों का ख्याल रखा,

पर खुद के लिए नयनों में इंतजार गहरा।


संकट में भले घिरी हुई,

जख्म की टीस भले गहरी,

चमक उठी सूनी आँखें भी तब,

जब देखा अपनों को खुशियों में डूबा।




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