प्रेम

प्रेम

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Ruchika Rai
Ruchika Rai 15 Nov, 2022 | 1 min read

प्रेम सबसे अनकहा अनसुलझा रिश्ता रहा

जिंदगी में।

एक मृग मरीचिका,

जिसको पाने की तलाश में बाँवरा मन भटकता रहा।

जिसने प्रेम किया वह सबसे अधिक 

पीड़ा को महसूस किया।

पाने की चाहत और पाने की कवायद

दोनों ही दर्द की पराकाष्ठा तक ले गयी।

और जिसने प्रेम को जिया,

वह मिलन की आस में

विरह की व्यथा की टीस को दिल में महसुस करता रहा।

मगर प्रेम के बिना इस धरा का अस्तित्व रहा

बिल्कुल ही निरर्थक ,अर्थहीन।

जब जब प्रेम और नफ़रत की रार हुई,

प्रेम सदा ही रहा नफ़रतों पर भारी,

और विजित।

प्रेम ने दुनिया के अस्तित्व को बचाये रखा।

प्रेम ने जीवन को जीने का उद्देश्य देकर,

किया धरा पर जीवन को उपकृत।

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Ruchika Rai

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