आँकड़े और हकीकत

एक सच

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Ruchika Rai
Ruchika Rai 02 Jun, 2021 | 1 min read

सरकारी आँकड़े दिखाती सरकार

पर परेशान है मजदूर कामगार

जिंदगी की जंग जारी है,

उसमें रोटी के लिए तड़प लाचारी है।

परिवार का बिखरना,

अपनों का पहुँच से दूर होना,

सिर्फ चंद महीनों और सालों की नही परेशानी,

ये तो शुरू हुई जंग जो तमाम उम्र जारी है।

माता पिता की कोरोना से मौत

रोते बिलखते दूध मुँह बच्चे 

ये कैसी सजा और ना भरने वाली चोट।

वाकई दुरूह रास्ते जिंदगी के,

यह कहानी हर दर्द पर पड़ी भारी है।

हिम्मत हौसला और सब्र छूटता जा रहा,

कहने को आसान जंग ये लग रहा।

पर वाकई ये जंग हर जंग पर भारी है।

एक बार दर्द उन परिवार से पूछिए,

जिनका बुझ गया घर का चिराग है।

एक बार दर्द उन बेसहारों से पूछिए,

जिनके लिए आगे न बची कोई आस है।

दर्द बड़ा है संकट भारी है,

अब आँसू भी पोछना लगता बेमानी है।

पर सरकारी आंकड़ों में दिख रहा,

मृत्यु दर कम 

अरे कोई तो बताओ

राजीनीति की बिसात पर किसके शह मात

का किस्सा जारी है।

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